बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' |
पेश है कवि बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' की लिखी कविता 'न जाने क्यों भला'...पढ़ें और पसंद आये तो खूब शेयर करें...
कविता - 'न जाने क्यों भला'
न जाने क्यों भला फिर आज उनकी याद आयी है|
न मिलने की कसम जिनसे हमेशा मैंने खाई है|
मुरव्वत से हैं बेगाने हया तक बेच खाई है,
छूटे गर पिंड ऐसों से इसी में ही भलाई है|
तुम्हारी याद हावी है मेरे दिल पर उसी दिन से,
हुई खुशियाँ मेरी रुखसत दुखों से ही सगाई है|
समझकर देवता पत्थर को घर में ला बिठाया है,
इमारत दिल की यूँ अफसोस क्यों मैंने सजाई है|
जो मारा पीठ पर खंज़र समझ में आ गया फ़ौरन,
मेरे अपनों ने मुझसे यूँ शनासाई निभाई है|
हज़ारों पाप करके भी नहाते हैं जो गंगा में,
खुदा जाने ज़माने की ए कैसी पारसाई है|
लगा के दिल को पत्थर से मैं पहुंचा मोड़ पर ऐसे,
कि आगे है कुआँ मेरे औ पीछे मेरे
खाई है|
इबज में प्यार के मुझसे वो मेरी जान मांगे है,
बचा ले ए खुदा मुझको दुहाई है दुहाई है|
----द्वारा - कवि बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’
संपर्क - जी- ३०३, महादेव एवेन्यु, नानी केनाल , जमुना पार्क के
सामने, वस्त्राल, अहमदाबाद- ३८२४१८ मो. नंबर +91-9998679899
वर्तमान पता- बिरला पब्लिक स्कूल, दोहा- क़तर, पोस्ट बॉक्स
नम्बर-२४६८६, मो. नंबर- +974 -33187997
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