शैलेन्द्र राठौर |
फासले
पर मैं तुम्हारा
दिलबर नहीं
जिन्दगी हो तुम
मेरी
पर मैं तुम्हारी
जिंदगानी नहीं
“फासले” रखे
तुम्हीं ने दरमियाँ हमारे
मैं तो हमेशा
तुम्हारे करीब था
पर तुम मेरी
धड़कनों के पास नहीं...
ख्याल हो तुम
मेरे
पर मैं तुम्हारे
ख़्वाब नहीं
बातें हो तुम
मेरी
पर मैं तुम्हारे
शब्द नहीं
तेरे दर्द से
अक्सर मेरी ऑंखें गीली रहीं
पर मेरी मोहब्बत
से तेरा दिल कभी भीगा ही नहीं...
ज़ज्बात हो तुम
मेरे
पर मैं तुम्हारे
एहसास नहीं
राहें हों तुम
मेरी
पर मैं तुम्हारी
मंजिल नहीं
तुम्हे पाने की
हसरत दिल में ही रह गयी
खड़े रहे तुम एक
ही जगह
मेरे साथ दो कदम
तुम कभी चले ही नहीं...
------ शैलेन्द्र राठौर
नामली, रतलाम, म प्र
(यह ग़ज़ल e-mail द्वारा प्राप्त | यदि आपके पास भी है कोई ग़ज़ल, कविता,
कहानी, लघुकथा, लेख या लेखन से जुड़ा कुछ भी तो हमें भेज दें nitendraverma@gmail.com पर)
=è इस ग़ज़ल को facebook, twitter व अन्य सोशल
मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर करें | शेयर करने के लिये बस नीचे दिये share options पर क्लिक करें |
Super bhaiya
ReplyDeleteGood job shailendra bhaiyya
ReplyDeleteShandar ...👌👌👌👌
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत...शैलेन्द्र जी आपसे निवेदन है कि आप और ज्यादा लिखें जिससे हमें आपकी ज्यादा रचनाएँ पढ़ने को मिलें...बधाई...
ReplyDeleteआदरणीय शैलेन्द्र साहेब, बहुत सुन्दर ...बधाई आपको
ReplyDelete