अंकुर पटेल |
बड़ा
आदमी
एक अलसाया, मुर्झाया चेहरा, तन पर कई जगह से पैबंद
लगी कमीज, पैरों में घिसी चप्पल, मन में जीने का उत्साह नही और यह जाड़े की ठिठुरती सुबह अभी तक कोहरा नही
छटा था । दूर तक कुछ
नही दिख रहा था। वह किसी प्रकार अपने को अपने में समेटे, घिसटते कदमो से चल रहा था । पिछले कई दिनों से कुछ खाया नही था । क्योंकि वह कुछ दिनों से बेघर है | घर पर जो थोड़ा बहुत था वह उसकी माँ, पत्नी व बच्चो को ही पूरा नही पड़ता था । भूख के मारे चला नही जा रहा था | पिछले कई दिनों से काम की तलाश कर रहा है । इसीलिए आज बड़े सवेरे ही उठ गया । उठ क्या गया जब रात-रात भर नींद नही आती तो सोना क्या । उसे याद है जब वह छोटा था तब उसके बापू उसे काम पर नही ले जाते बल्कि उसे पढ़ने भेज देते । उसके बापू कहा करते थे कि उसका बेटा एक दिन पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बनेगा मगर एक दिन अचानक जब वह स्कूल से घर लौटा तो उसके घर पर भीड़ लगी थी । उसकी माँ रो रही थी । उसका बापू जमीन पर पड़ा था । उसका बापू मर चुका था । पर उसे नही मालूम ये कैसे हुआ और वह बड़ा-आदमी आज उन्हीं कंकड़ों-पत्थरों में अपनी तकदीर लिखता रहता है।
नही दिख रहा था। वह किसी प्रकार अपने को अपने में समेटे, घिसटते कदमो से चल रहा था । पिछले कई दिनों से कुछ खाया नही था । क्योंकि वह कुछ दिनों से बेघर है | घर पर जो थोड़ा बहुत था वह उसकी माँ, पत्नी व बच्चो को ही पूरा नही पड़ता था । भूख के मारे चला नही जा रहा था | पिछले कई दिनों से काम की तलाश कर रहा है । इसीलिए आज बड़े सवेरे ही उठ गया । उठ क्या गया जब रात-रात भर नींद नही आती तो सोना क्या । उसे याद है जब वह छोटा था तब उसके बापू उसे काम पर नही ले जाते बल्कि उसे पढ़ने भेज देते । उसके बापू कहा करते थे कि उसका बेटा एक दिन पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बनेगा मगर एक दिन अचानक जब वह स्कूल से घर लौटा तो उसके घर पर भीड़ लगी थी । उसकी माँ रो रही थी । उसका बापू जमीन पर पड़ा था । उसका बापू मर चुका था । पर उसे नही मालूम ये कैसे हुआ और वह बड़ा-आदमी आज उन्हीं कंकड़ों-पत्थरों में अपनी तकदीर लिखता रहता है।
और वह बड़ा-आदमी एक बड़े-आदमी का अरमान लिए चला
गया।
-- "अंकुर पटेल"
Student, B.Sc. (H), Physics,
Deen Dayal Upadhyaya College, Delhi
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Nice story....
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