नोटबंदी में खबर
पिछले दिनों नोटबंदी का मुद्दा मीडिया में खूब छाया रहा
| सभी चैनलों के रिपोर्टर गाँव गाँव शहर शहर जाकर लोगों की समस्याओं को कवर करने
में जुटे रहे | उनकी कोशिश रही कि हर किसी से इस नोटबंदी से और बैंकों से जुड़ी
समस्याएँ येन केन प्रकारेण उगलवा ही ली जायें | लेकिन ये सब कई बार इतना आसान भी
नहीं होता | कई बार तमाम जद्दोजहद के बाद भी रिपोर्टर को उसकी मनचाही खबर नहीं मिल
पाती | नोटबंदी की खबर बनाने की कोशिश करते एक ऐसे ही रिपोर्टर की कहानी पेश हैं
व्यंग्यात्मक अंदाज में...
(रिपोर्टर
गाँव की एक बैंक के बाहर खड़ी भीड़ में एक अधेड़ से )
रिपोर्टर –
आप कब से खड़े हैं लाइन में ?
व्यक्ति –
जी हम तो सुबह से खड़े हैं
रिपोर्टर –
पैसा मिला आपको ?
व्यक्ति –
पगला गये हो का ? बैंक के बाहर आज तक पैसा मिला है का ? जब बैंक के अन्दर घुसेंगे
पैसा तबै मिलेगा ना...
रिपोर्टर
झेंप कर एक बुजुर्ग की ओर मुखातिब हो गया |
रिपोर्टर –
हां दद्दा कब से यहाँ बैठो हो ?
बुजुर्ग –
अरे बेटवा ई जबसे नोटबंदी का खेला चालू हुआ है तब से हम रोज इहाँ आइत है | रोज
तमाशा देखित है |
रिपोर्टर –
तो अभी तक आपको पैसा मिल पाया की नहीं |
बुजुर्ग – अरे कहाँ | आज दस दिन हुई गये | रोज आय रहे
हैं...
(रिपोर्टर
मन ही मन खुश | सोचा अब तो न्यूज़ बन गयी |)
रिपोर्टर –
क्यों नहीं दे रहे बैंक वाले आपको पैसे ? क्या कहते हैं ?
बुजुर्ग –
(थोड़ा गुस्से में) देखो बबुवा...ना तो हमरे खाते में पैसा है और न हमको पैसा
निकालना है | पहिले ही हम कहे रहे कि हम ई खेला देखे खातिर रोज आये रहे हैं...
रिपोर्टर के
माथे पर पसीना आ गया | बात यहाँ भी बनी नहीं | भीड़ में किसके पास जाये ये सोच ही
रहा था कि उसकी नजर लाइन में सबसे आगे खड़े शख्स पर पड़ी जो बड़ी देर से चिल्लाये जा
रहा था |
रिपोर्टर
उसकी ओर लपका |
रिपोर्टर –
क्या बात है ? आप बड़ा परेशान दिख रहे हैं ?
युवक – तुम
कौन ?
रिपोर्टर
- अरे हम न्यूज़ चैनल से...
युवक – मतलब ?
रिपोर्टर –
हम टीवी पे आते हैं | तुमको भी टीवी पे दिखायेंगे |
युवक(गदगद
होते हुए) – अच्छा तो बताओ हमको का बोलना है ?
रिपोर्टर –
बस ये बताओ कि यहाँ तुमको क्या परेशानी हो रही है ?
युवक – अरे
साहब परेशानी ही परेशानी है यहाँ | ई बैंक में तो बस दलालों का बोलबाला है | हम
ग्राहकन का तो नम्बर ही नहीं आ पाता | सबसे पहले तो दलाल घुस जाते हैं...
तब तक उसके
ठीक पीछे खड़ा कुछ समझदार सा दिख रहा युवक बोल पड़ा...
दूसरा युवक –
अरे भाई का बात कर रहे हो...सबसे पहले तो स्टाफ़ जाता है अन्दर...
पहला युवक –
अच्छा तो वो स्टाफ़ है ! तो उसके बाद जो तीन चार दलाल घुस जाते हैं डंडे लेके वो...
दूसरा युवक –
अरे मेरे भाई वो तो पुलिस वाले हैं...
पहला युवक –
अच्छा तो उसके बाद जो घुसता है वो ? वो तो दलाल होगा...
दूसरा युवक –
रोज सबसे आगे तुम लगे रहते हो और पुलिस वालों के बाद तो तुम ही घुसते हो सबसे पहले
| अब तुम अगर दलाल हो तो...
पहला युवक –
और जो पिछले दरवाजे से पैसा निकल रहा है वो कौन ले रहा है फिर ?
दूसरा युवक –
कैसा पिछला दरवाजा ? इस बैंक में तो अगल, बगल या पीछे कोई दरवाजा, खिड़की ही नहीं
है...
पहला युवक –
अच्छा...तुझे कैसे पता ?
दूसरा युवक –
क्योंकि बैंक के ठीक पीछे मेरा घर है...
पहला युवक –
ऐ टीवी वाले भाई तुम हटो जरा इहाँ से...पहले तो हम जरा इससे निपट लें बहुत बलबला
रहा है उतनी देर से...
मन मसोस कर
रह गया रिपोर्टर | न्यूज़ बनते बनते रह गयी | खैर दोनों को निपटने के लिये छोड़
रिपोर्टर वहां से निकल लिया |
अब उसका
सामना लाइन में खड़े एक और बुजुर्ग से हुआ |
रिपोर्टर –
दद्दा क्या बात है ? पैसा निकालने आये हो ?
दद्दा –
नहीं हमारी शादी है बारात में आये हैं...
रिपोर्टर(झेंपते
हुए) – नहीं...मतलब पैसा मिल पा रहा है आपको ?
दद्दा –
नहीं
रिपोर्टर –
किस चीज का पैसा निकालना है ?
दद्दा –
हमारे लड़के की शादी है |
रिपोर्टर –
तो पैसा क्यों नहीं दे रहे बैंक वाले ?
दद्दा – कह
रहे हैं ढाई लाख नहीं मिल सकते
रिपोर्टर –
ये तो बैंक वालों की मनमानी है | क्यों नहीं मिल सकते ढाई लाख ?
दद्दा – कह
रहे हैं हमारे खाते में केवल दस हजार हैं तो ढाई लाख कहाँ से दें...सरकारी आदेश दी
है कि शादी वाले ढाई लाख निकल सकते हैं तो ई बैंक वाले कौन होते हैं मना करने वाले
? हम भी उनसे कह दिये हैं कि जब तक ढाई लाख मिलेंगे नहीं तब तक यहाँ आना छोड़ेंगे
नहीं...
रिपोर्टर ने
सिर पीट लिया |
अब रिपोर्टर
ने रुख किया महिलाओं की लाइन का |
यहाँ लाइन
तो कम हां चार छः महिलाओं के अलग अलग कई झुण्ड जरुर लगे थे | ऐसे ही एक तेज तर्रार
दिख रहे झुंड की तरफ रिपोर्टर बढ़ा |
रिपोर्टर –
जी आप लोग यहाँ किसलिये आई हैं ?
सब महिलायें
एक साथ – हम यहाँ पैसा निकालने के लिये आये हैं |
रिपोर्टर –
तो पैसा मिल आप लोगों को ?
फिर से एक
साथ – नहीं अभी तक नहीं |
तभी एक तेज
दिख रही महिला बोली – ई बैंक वाले सब गड़बड़ कर रहे हैं | हमसे जो बाद में आई थीं वो
पैसा लेके चली गयीं | हम लोगों का अभी तक नम्बर नहीं आया...
रिपोर्टर –
क्या गड़बड़ कर रहे हैं बैंक वाले ? आपका नम्बर क्यों नहीं आया ?
महिला – अरे
हम यहाँ पंचायत में लगे रहे ध्यान ही नहीं दिये कि बैंक का चैनल कब खुला | जो हमसे
पीछे आई रहीं वो अंदर घुस गयीं हम लोग बतियाते ही रह गये...
सब महिलाओं
का जोरदार ठहाका...
रिपोर्टर(यहाँ
भी खबर न बनते देख अनमने से) – यहाँ आप लोगों को क्या दिक्कत आ रही है ?
महिला –
काहे की दिक्कत ? हम सब जने तो सबेरे सबेरे यहाँ आ जाते हैं और फिर जो पंचायत लगती
है तो घर परिवार पड़ोसी सब की कुण्डली यहीं बनती है | और देखो हम औरतन का ऐसे तो घर
से निकलने को मिले ना | ई नोटबंदी के बहाने कम से कम चार लोगों से बोल बतखाव हुई
जाता है | घर वाले खुदै भेज देते हैं |
फिर सबका
जोरदार ठहाका...
यहाँ से भी
रिपोर्टर ने निकल लेने में ही भलाई समझी |
तमाम रिपोर्टरों ने इस दौरान बड़ी चालाकी से अपना काम भी
बना लिया | ऐसे ही चालाकी देखिये एक एटीएम के बाहर…
एटीएम के
बाहर लम्बी लाइन लगी हुई है | सब शांतिपूर्वक खड़े अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं
| तभी रिपोर्टर कैमरामैन के साथ पहुँच जाता है |
रिपोर्टर –
देखिये यहाँ पर लम्बी लाइन लगी हुई है | लोगों ने बताया की वो रात से ही लाइन में
लगे हुए हैं | तमाम लोग तो साथ में बिस्तर और कम्बल लेकर ही आये थे | जैसे ही
एटीएम में पैसा डाला गया है लोग टूट पड़े हैं | कुछ लोग कह रहे हैं कि एटीएम से
पैसे निकल रहे हैं तो कुछ का कहना है कि नहीं निकल रहे हैं | कुछ लोगों का ये भी
कहना है कि वो रोज लाइन में लगते हैं लेकिन जब तक उनका नंबर आता है तब तक पैसा
ख़त्म हो जाता है | तो आइये हम करते हैं एटीएम का टेस्ट...
रिपोर्टर
कैमरामैन को साथ लेकर सीधे घुस गया एटीएम बूथ के अन्दर |
रिपोर्टर –
अब देखिये मैंने ये कार्ड स्लॉट में लगाया | और अब ये पिन कोड डाला | हम देखेंगे
इससे 2000 रु निकाल कर | ये मैंने डाल दिये 2000 रु | देखना है निकलते हैं या नहीं
| ये देखिये एटीएम ने निकाल दिये हैं दो हजार रूपये | लेकिन अभी भी एटीएम केवल दो
हजार का ही नोट निकाल रहा है | हमारे टेस्ट में ये एटीएम सफल रहा है |
इसके साथ ही
रिपोर्टर कैमरामैन के साथ बाहर निकल आया |
रिपोर्टर(कैमरामैन
के कान में) – देखा कैसे बिना लाइन में लगे निकाले पैसे!!!
यह चालाकी
कभी एटीएम चल रहा है या नहीं तो कभी उससे पांच सौ का नोट निकल रहा है या नहीं के
बहाने रिपोर्टर दिखाते ही रहे | बेचारी एटीएम के सामने लाइन में लगी भीड़ सोचती रही
कि ये मीडिया वाले उसका दर्द दिखा रहे हैं |
Khayali Pulao By : Nitendra Verma Date: January 14, 2017 Saturday
(यह लेख व्यंग्य है | इसका उद्देश्य
किसी भी प्रकार से मीडिया से जुड़े किसी भी व्यक्ति के सम्मान को क्षति पहुँचाना कतई
नहीं है |)
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