खुद को एकदम शुद्ध बताने वाले बड़े बड़े ब्रांड एक क्वालिटी टेस्ट में मुँह के बल धड़ाम हो गए । अब सब बड़े बड़े विज्ञापन निकाल कर नुकसान की भरपाई में जुट गए हैं । अगर ये क्वालिटी टेस्ट गलत हैं तो इन सब कम्पनियों ने मिलकर या किसी अकेले ने ही टेस्ट करने वाली संस्था के खिलाफ मानहानि का दावा काहे नहीं ठोंक दिया???
फिर न तो साख पर आंच आती न ही विज्ञापनों में लाखों करोड़ों खर्च करने पड़ते । अगर ये सही हैं तो करोड़ों का दावा ठोंक दें ।
मगर हैरत है कि एक भी कम्पनी ने ये रास्ता नहीं अपनाया बल्कि सब तुरत फुरत में खुद को सही साबित करने में जुट गईं । जबकि दूसरे रास्ते के फायदे कहीं अधिक हैं ।
कुछ तो गड़बड़ है🙃🙃🤔🤔
---नितेन्द्र वर्मा
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