अमित शुक्ला |
इन्सान
हाथ में संग लिए हर शख्स खड़ा रहता है ।
काँच का दिल है फिर भी ये अड़ा रहता है ।
एक तस्वीर किसी की है दिल में न बिखर जाये ।
खौफ इसी बात का हर वक्त बड़ा रहता है ।
जिस राह के पत्थर ने जाने से उन्हें रोका था ।
वह आज भी ठोकर के लिए वहीं पड़ा रहता है ।
चंद दिन की जिन्दगी कुछ पलों का है सुकून ।
फिर जाने क्यों इंसां इंसां से लड़ा रहता है ।
@अमित शुक्ला@
अध्यापक,(बरेली), उ प्र बेसिक शिक्षा परिषद
अमित जी अपनी कविता ब्लॉग पर शेयर करने के लिये धन्यवाद...सुन्दर रचना...
ReplyDeleteSuperb poetry
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