कवि बैजनाथ शर्मा 'मिंटू' |
कविता - दोस्ती
दुश्मनी
मेरे दादा मुझे अकसर
सबक यह ही सिखाते हैं|
बनाना दोस्त मत बेटा ये खंज़र घोंप
जाते हैं|
झुकाते सर न मंदिर में
न सज़दा यार करते हम
तिरंगे की पनाहों में महज सर को
झुकाते हैं|
पडोसी मुल्क ये अपना
रहा दुश्मन हमेशा फिर
क्यों दिल्ली मौन बैठी है चलो जी पूछ
आते हैं|
सुनो कश्मीर का मुद्दा
नहीं सुलझाएगी दिल्ली
सियासत का इसे जरिया महज नेता बनाते
हैं|
क़लम बन्दूक बन जाये
सियाही आग उगलेगी
चलो फिर से क़लम की धार को हम आज़माते
हैं।
मुहब्बत का सुमन फिर से
खिलाएं बागवां बनकर
मिलाकर दिल-गले सबसे चलो नफरत मिटाते
हैं
सुना है मुल्क अपना भी
कभी सोने की चिड़िया था
चलो भारत को सोने की पुनः चिडिया
बनाते हैं
--कवि बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'
संपर्क - जी- ३०३, महादेव एवेन्यु, नानी केनाल , जमुना पार्क के सामने, वस्त्राल, अहमदाबाद-
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वर्तमान पता- बिरला पब्लिक स्कूल, दोहा- क़तर, पोस्ट बॉक्स
नम्बर-२४६८६, मो. नंबर +974-33187997
वाह क्या बात है
ReplyDeleteVery Nice
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