Menu bar

New Releasing soon...my new novel कंपू 007..a topper's tale कंपू 007...a topper's tale
New इस ब्लॉग के पोस्ट को मीडिया में देखने के लिये MORE menu के Milestone पर क्लिक करें..

Saturday, October 27, 2018

ज़िन्दगी

साहित्य में गहरी रूचि रखने वाले हरीश जाधव जी की इस ब्लॉग पर पहली रचना  आप 
सब के सामने है | पढ़िए और पसंद आये तो like, comment और share करिये... 



जिन्दगी

अभी अभी तेा बचपन छोड़ जवानी में कदम रखा था.....अभी अभी तो छोड़ा था वो स्कूल..... वो बैग..... वो किताबें.... वो खिलोने.... वो नन्हें दोस्तों का साथ.... वो पुरानी शरारते.... वो मस्तियाँ... वों दोस्तों के साथ खेलना.....
अभी-अभी तो की थी पढ़ाई पूरी...... किया थोड़ा सा भी आराम.... कि अचानक क्यूँ गया उस पर वो बोझ...... वो जिम्मेंदारी..... कि करो बेटा कोई नौकरी या काम जो सके तुम्हारें और परिवार के काम......
करो कुछ क्योंकि तुमने की है पढ़ाई........करके खर्च रूपये......जो आते काम परीवार के....उन मुसीबतों में जिसका तुम्हें नही है भान.......

जिसे माता-पिता ने किये है खर्च....खुद देखकर तंगी। पर जब भी मिलता कोई काम....करना चाहता दिल उसे...लेकिन होती दिक्कत उन अपनों को जिसने बनाया लायक हमें.....कि हम सके काम उनके..... फिर कहता है मन क्या करे ?

करे नौकरी...खत्म करे तंगी....मिटादे पैसों की कमी.....दे उन लोंगो को मुँह तोड़ जवाब....जो कहते है आवारा है.... या करें मदद उनकी जिन्होंने बनाया हमें किया इतना बड़ा पाल पौस कर.......... जो थक चुकें है अब........क्योंकि किया है उन्होंने बरसो परिश्रम......
पर वो क्यों कहेगे कि करो मदद हमारी....... वो चाहेगें कि बनाये भविष्य ये बच्चा अपना.......जिसे बनाने के लिए किये है हमने कई जत्न......

यही होता है वो समय जब नई-नई नौकरीयों के लिए करना पड़ते है यत्न..... भटकना पड़ता है दर-दर..... कही मिल जाती है स्वतः ही निराशा....तो कही मिलता है काम....पर नही चाहता दिल करने को ऐसा काम.......पर करना तो है... जैसेकि शादी.
हाँ ! याद आया शादी से, कि इसी समय होती है बात......ढूँढने  को लड़का-लड़की निकलते है माँ-बाप....फिर होती है मुलाकात.....वो चाहते है करना लड़का/लड़की से बात.....पर करे क्या बेचारे लड़का/लड़की..........हो गई स्थिति धर्म संकट की ......

 कारण सिर्फ एक.......कि छूटेगी नौकरी.. अगर जाना पड़ा बार-बार दफ्तर से तो बिगड़ेगा अपना रिकार्ड..... 
जिसे बनाने के लिए की है अभी ही शुरूआत.....अगर ना हुई बात तो होगी शादी भी ऐसी जिससे नही चाहता मन।

पता नही क्यूँ उत्पन्न होती है स्थिति ऐसी धर्मसंकट की कि इंसान चाहकर भी नही कर सकता दूर......कहते है बड़े बुजुर्ग हमारे कि करो कुछ ऐसा जिससे हो जाए दोनो परेशानीयाँ  दूर..........और हर हाल में तुम लो हिम्मत से काम , क्यूँकिं निपटना तो है तुम्हें इन दोंनो ही परीस्थितियों से ...... जो उत्पन्न की है तुने खुद इस मनुष्य जीवन में आकर.......घर से निकले इन परेशानीयों के बोझ को सिर पर ढो-कर......... विचार करते-करते कि शायद किसी का मशवरा जाऐ काम......... पर हुआ क्या ?

बाहर बढ़ गया और तनाव......जब टोका अपने ही चाहने वालों ने .......... सीधे ही साध दिया तीर निशानें पर ....... कर दिया वो घाव और गहरा.........
निकले थें जिसे भरवाने केा.............कहा उन्होंने की क्या करते हों ? ...........या फिर ऐसे ही आवारा बने फिरते हो............ शादी क्यों नही करते ? ........... या होती ही नही है..........क्या खोट है तुममे ? ........
 उठते ऐसे ही अनेकों सवाल .........जिसका नही चाहता मन देनें को जवाब..........कोई कहता है कमाता क्या है ? जो शादी हो पाऐगी....... मारेगा भूखों आऐगी बनकर जो दुल्हन घर में इसके.......

पर कोई ये नही सोचता कि बनाई है दुनिया जिसने.......... बनाई है दुल्हन भी उसी ने.......... भेजा है बनाकर जोड़ा उपर से ही ......... बस बाकी है करनी कुछ औपचारिकता पूरी..... जो करना है पुरी हम सब को मिलकर.......
करो थोड़ा इन्तजार..... और अगर ऐसा नही तो क्यूँ दुनिया कहती है ............. क्यूँ किताबेां में लिखा है ........... बड़ें-बड़ें विद्वान कहा करते है कि करता है भगवान जो.... वो सब करता है अच्छे के लिए ही .......

तब सोचता हूँ..... होने दो जो होना है ........ कहने दो उन्हें......... जो चाहता है सुनाना.......... सुन लो उनकी बात ........ मार के अपने मन को........... करते रहो वो जो चाहे मन आपका करने को............. करों याद वो पंक्ति गीता कीकर्म करेा, चिंता करो फल की ’..............


Written by...
हरीश जाधव                    
नामली, म प्र 


..................................................

***नितेंद्र वर्मा की जल्दी ही रिलीज़ हो रही किताब "कंपू 007...a topper's tale" के चुनिन्दा अंश  पढ़ने के लिए क्लिक करें...

-->   Sample 1
 -->   Sample 2

No comments:

Post a Comment