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घटना घट जाने के बाद पुलिस, स्थानीय प्रशासन व शासन की सक्रियता देखते ही बनती है । जैसी अभी हाथरस कांड में दिख रही है । मजाल है परिंदा भी 'ऊपर वाले' की अनुमति के बिना पर मार जाये । नीचे से ऊपर तक सब एकदम तत्पर हैं, मुस्तैद हैं । पीड़ित परिवार को Z+ से भी ऊपर की सिक्योरिटी मुहैया करा दी गई है । मजाल है कि कोई उनके आसपास भी फटक सके । कोई बाहरी तो उनसे क्या मिलेगा खुद परिवार के लोग एकदूसरे से मिलने को तरस रहे हैं । ऐसी सिक्योरिटी देश में पहली बार किसी को मुहैया करवाई गई है ।
गांव के चारों और मतलब मुख्य मार्ग से लेकर हर सम्पर्क मार्ग तक यहाँ तक कि खेतों तक में हमारी पुलिस तैनात है । बताइये अब इससे भी ज्यादा पुलिस, प्रशासन से क्या उम्मीद रखते हैं । अगर गाँव वालों को बाहर जाना है तो अनुमति और वापस आना है तो पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य है ।
पिछले दो चार दिनों से हाथरस में जो कुछ हो रहा है वह अभूतपूर्व, अविश्वसनीय, अद्भुत है । यह हर देशवासी के लिए गौरव के पल हैं । हम नागरिकों ने अब से पहले स्वयं को इतना सेफ कभी महसूस नहीं किया । मीडिया के लिए तो विशेष इंतजामात किये गए हैं । बैरिकेडिंग, मानव चेन सब कुछ तो है । यहां तक कि कुछ लट्ठधारी स्थानीय युवक भी उनकी सेफ्टी के लिए तैनात हैं । पुलिसवालों की मौजूदगी में ही इन युवकों ने मीडियावालों को दौड़ा लिया और लाइव टेलीकास्ट को रोकनी की कोशिश भी की । महिला पत्रकारों के लिए भी विशेष बल तैनात है ।
मीडिया अंदर नहीं जा सकता । जब मीडिया पूछता है क्यों तो जवाब मिलता है ऊपर से आदेश नहीं हैं । ऊपर वाला कौन है ये कोई बताता नहीं । मतलब वो जमीन पर ही पाया जायेगा या इतना ऊपर है कि उसके लिए हेलीकॉप्टर या ऐरोप्लेन की मदद लेनी पड़ेगी ये तो बताया जाना चाहिए ।
कल कई सस्पेंड कर दिए गए लेकिन ऊपर वाला कौन है ये सवाल अब तक अनुत्तरित है । कुछ जिम्मेदार कह रहे हैं कि मीडिया की वहां क्या जरूरत है तो जब सरकारें छोटी मोटी बातों का ढिंढोरा पीटने के लिए बड़ी बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस करती हैं उसकी क्या जरूरत होती है??? बस एक प्रेस रिलीज मीडिया को भेजिए और काम तमाम!!!
खैर जो भी है फ़िलहाल तो इस चाक चौबंद व्यवस्था का मजा लीजिये क्योंकि फिर से ऐसी व्यवस्था देखने के लिए हमें फिर किसी बड़ी घटना का इंतजार करना होगा
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