अंकुर पटेल |
प्रीत की प्यारी
प्रीत की प्यारी हो तुम
मधुबन की दासी बनके मत रह जाना।
हो प्यार हमसे
किसी और की बनके मत रह जाना।
यूँ तो गीत बहुत लिखे है तेरे लिए,
उन्हें आवाज़ देते मत रह जाना।
हर लम्हे ने जोड़ा है तुझे मुझसे,
उन्हें बस अपनी बाहों में समेटे मत रह जाना ।
इजहार हो कुछ इस तरह का,
बस ऐसी किताब बनके मत रह जाना।
दिल की धड़कन तुझे पुकारें बस इसी तरह,
कुछ ऐसी तक़दीर लेके मत रह जाना।
गुजरूँगा एक दिन तेरी आँखों से,कुछ अहसास और अरमान लेकर,
बस उन्हें अपना नाम देते मत रह जाना।
प्रीत की प्यारी हो तुम
मधुबन की दासी बनके मत रह जाना।
©अंकुर
पटेल
- "अंकुर पटेल"
Student, B.Sc.
(H), Physics,
Deen Dayal
Upadhyaya Colege, Delhi
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