रोटी का जुगाड़
ये रोटी भी बड़ी अजीब चीज है | जिंदगी में हम सब कुछ इसी के
लिए तो करते हैं | पैदा होने से लेकर मरने तक हम इसी की जद्दोजहद में लगे रहते हैं
| रोटी हमें हमारे घर से दूर कर देती है | हमारे परिवार से दूर कर देती है | हमारे
दिन का चैन रात की नींद लूट लेने वाली भी तो रोटी ही है | हमारा घर परिवार कहीं और
होता है और हम कहीं और रोटी का जुगाड़ कर रहे होते हैं | चाहे गरीब हो या अमीर हालात
दोनों के एक ही जैसे हैं | अगर गरीब को रात की रोटी की चिंता होती है तो अमीर
भविष्य की रोटी का इंतजाम करने में लगा रहता है | रोटी के लिए लोग परदेस तक चले
जाते हैं | शायद वहां की रोटियों का स्वाद यहाँ से कुछ अलग और अच्छा होगा | इसी
चक्कर में कुछ लोग गलत रास्ते भी अख्तियार कर लेते हैं | कुछ अपने हालात से मजबूर
होकर ऐसा करते हैं तो कुछ दूसरों की इसी मजबूरी का फायदा उठाने के लिए ऐसा करते
हैं |
कुछ लोग कई पीढ़ियों तक के लिए रोटियों का
इंतजाम कर लेना चाहते हैं इसीलिए तमाम घोटाले तक कर डालते हैं | इस रोटी के ही
चलते हम समाज से कट से जाते हैं | हम अपने आस पड़ोस के लोगों को भी नही पहचानते |
जानते हैं तो मिलने का समय नहीं निकाल पाते | रिश्तेदारी के किसी कार्यक्रम में जाना
तो दूर कभी कभी तो खुद के घर में काम होते हुए भी हम नहीं पहुच पाते | ओफ्फ़ कितनी
कोफ़्त होती है सोच कर ही | कभी कभी लगता है कि अगर बिना भोजन के भी चल सकता तो
कैसा होता हमारा जीवन | फिर तो किसी चीज की चिंता ही न होती | जब चिंता न होती तो
बीमारियाँ भी न होती | न पढ़ाई का झंझट न नौकरी की खट पट | हरदम अपने घर परिवार के
पास होते | समय की कोई कमी नही | चौबीस घंटे बस अपने | न कोई रोक टोक | जब जहाँ मन
हो जाइये जिससे मन हो मिलिए | सुबह देर तक सोइए और रात में देर तक जगिये | सारे
कष्टों से मुक्ति | कितना आसान हो जाता ये जीवन | एकदम बेफिक्र बिलकुल बेपरवाह |
लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा | जरा याद कीजिये
अपने स्कूल के दिनों को | स्कूल के दिनों में अक्सर हमें लगता था कि खूब सारी
छुट्टियाँ हो जाएँ तो मजा आ जाये | गर्मियों में ये मौका आता भी था जब पूरे दो
महीने की छुट्टियाँ हुआ करती थीं | बहुत मजा आता था लेकिन सिर्फ कुछ दिन | फिर तो
लगने लगता था कि कितनी जल्दी ये छुट्टियाँ ख़त्म हो जायें और फिर से स्कूल वाले दिन
लौट आयें | यही बात हमारे जीवन में भी लागू होती है | जब तक रोटी कमाने की
जद्दोजहद है जीवन का मजा भी तब तक ही है | जिस दिन हमने ये कोशिश छोड़ दी जिंदगी
बेमज़ा बेमतलब हो जाएगी | आखिर यही तो है जिंदगी | चाहे पशु, पंछी हो या हम सबकी
जिन्दगी एक सी है | सबकी जिन्दगी का एक ही मकसद है- आज और भविष्य के लिए रोटी का जुगाड़ | इन सब बातों
का लब्बोलुआब ये है कि हमें सब शिकवे शिकायतों को छोड़कर रोटी के जुगाड़ में लगे
रहना है | क्योंकि जिंदगी का असली रस और
मजा इसी में तो है |
Khayali
Pulao By : Nitendra Verma Date:
July 19, 2014 Saturday
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