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New Releasing soon...my new novel कंपू 007..a topper's tale कंपू 007...a topper's tale
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Sunday, October 7, 2018

Sample 3 - कंपू 007



मेरी जल्द ही प्रकाशित हो रही नई किताब "कंपू 007..a topper's tale" के कुछ चुनिन्दा अंश आप सब के लिये | उम्मीद है आप सबको पंसद आयेंगे | अगर आपको पसन्द आये तो कमेंट और लाइक में कंजूसी न करें.... 
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Sample 3:

गीतिका से अपने प्यार की फ़ाइल पर पासिंग मुहर लगवाने का मौका बहुत पास था | 11 मार्च...यानी परसों...गीतिका के बर्थडे से अच्छा मौका क्या हो सकता है उससे हाँ करवाने का | मैंने तैयारी भी शुरू कर दी थी |

10 मार्च --
यार बता ना...गीतिका को बर्थडे गिफ्ट देना है...मैंने अनूप से फोन पे पूछा |
हम्म...भाई देख लड़की जवान है...ब्रा पैंटी कुछ भी दे दे...या कोई खिलौना दे दे...अनूप हमेशा की तरह बेफ़िक्री से बोला |
अबे हम सीरियस बात कर रहे हैं तुम मौज ले रहे हो | और खिलौने का क्या करेगी वो ? बच्ची है ?’ मैं गुस्से से बोला |
अबे चूतिया...खिलौनों से तो आजकल वो काम हो जाते हैं जो हम तुम भी ना कर पायें | कल ही कॉलेज में वो वाली चिप लेके आता हूँ | दिखाता हूँ तुझे खिलौने का कमाल |’ वो चहकते हुए बोला |
अबे छोड़ो...और सुनो ये ब्रा, पैंटी और वो खिलौने अपनी रेहाना को दे देना मेरी तरफ से...हुँह बड़े आये...मैंने फोन रख दिया |      
   
मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा था | शाम हो रही थी लेकिन अभी तक मैं बर्थडे गिफ्ट तय नहीं कर पाया था | एक गिफ्ट तय करना कितना मुश्किल होता है आज पता चला था | कभी किसी को देने का मौका ही नहीं आया तो जानूंगा भी कैसे | लेकिन रात में एक सरप्राइज तो तय कर ही लिया था | शाम से ही गीतिका को एक भी मैसेज नहीं किया था | शाम को बात तो वैसे भी नहीं कर पाता था क्योंकि दो कमरे के मकान में कोई चूं भी करता तो आवाज दीवारों तक को चीर देती थी | बस मैसेज का ही सहारा था |

आज नींद मेरी आँखों से दूर थी | घड़ी पर नजर डाली | बारह बजने में बारह मिनट ही बाकी थे | मेरी उँगलियाँ नोकिया 3310 के कीपैड पर और फुर्ती से थिरकने लगीं | करीब दस मिनट बाद ही वह थमीं | मैंने लम्बी गहरी सांस भरी और और घड़ी पर नजर डालते हुए कुर्सी पर ही फैल गया | सिर्फ एक मिनट ही रह गया था..मैंने पूरी तैयारी कर ली थी..गीतिका का नंबर स्क्रीन पर चमक रहा था..अँगूठा ओके बटन दबाने के लिये तैयार था |

दस..नौ..आठ..और ये जीरो ये भेजा..बारह बजते ही अँगूठे ने ओके बटन दबा दिया | मेरा सरप्राइज गीतिका के फोन पर दस्तक दे रहा था | मैंने अपना फोन उठाया और चादर तानकर बिस्तर पर लेट गया | फोन को साइलेंट मोड में लगा दिया और इंतजार करने लगा अपने सरप्राइज पर आने वाले रिएक्शन का | बड़ी मेहनत से मैंने दिल बनाकर भेजा है गीतका को | जल्दी ही मेरा मोबाइल काँपा | गीतू का मैसेज था--  

-ये क्या है ?  
-दिल
-किसका ?
-मेरा
-किसके लिये ?
-तुम्हारे लिये
-क्या कह रहा है ये दिल ?
-हैप्पी बर्थडे टू यू

गीतिका की ओर से पूछे गये आखिरी सवाल पर मेरे हजारों अरमान कुर्बान हो गये | अब मेरा दिल क्या बल्कि क्या क्या कहता है मैं क्या बताऊँ..बस्स बर्थडे ही विश कर पाया | कुछ और एसएमएस आये गये मगर मेरी फाइल जहाँ की तहां रही |

11 मार्च --
अभी भी मैं तय नहीं कर पा रहा था कि गीतिका को क्या गिफ्ट दूँ | दिमाग नहीं चला तो मैंने अपनी साइकिल लालबंगला मार्केट की ओर घुमा दी | मेरे घर से महज चार पांच किलोमीटर की ही दूरी पर था मार्केट | मार्केट के सबसे बड़े गिफ्ट स्टोर राकेश स्टोरपर मेरी आँखें गीतिका के लिये गिफ्ट तलाशने में जुट गयीं | एक तरफ से देखना शुरू किया..नजर कहीं ठहरती भी तो यह सोचकर आगे बढ़ जाता कि शायद आगे इससे अच्छा गिफ्ट मिल जाये |

पूरे आधे घंटे बाद मैंने खुद को वहीं पाया जहाँ से शुरू किया था | मैं खुद को कोसने लगा | मेरी तैयारी अच्छी नहीं थी | होमवर्क पूरा न करने की बचपन की आदत आज भारी पड़ रही थी | हाँ तब होमवर्क पूरा न करने पर पिछवाड़े क्यों काटे जाते थे आज पता चला |
तुमसे न हो पायेगा..मेरे मन से आ रही आवाज ने मुझे धिक्कारा | तभी मेरी नजर स्टोर के बीचों बीच लगे स्टैंड पर पड़ी | मैंने झट से आगे बढ़कर एक किताब निकाल ली | मेरे पसंदीदा नवोदित लेखक नितेन्द्र वर्मा का नया कहानी संग्रह प्रेम समन्दरमेरे हाथों में था | मैंने ये किताब पढ़ रखी थी | प्रेम के सप्तरंगी रंगों में रंगी कहानियां शायद मेरे दिल के मजमून को गीतिका के दिल में उतार दें | मैंने ये किताब लाल रंग से गिफ्ट पैक करायी और एक अच्छा सा ग्रीटिंग भी ले लिया |

अभी भी मुझे कुछ अधूरा सा महसूस हो रहा था | गिफ्ट में कोई कमी थी जो मुझे खल रही थी | स्टोर से बाहर निकला तो सामने लेडीज आइटम की दुकान पर नजर गयी | आं आं...अनूप का बताया गिफ्ट लेने के लिये बिलकुल नहीं |

क्या चाहिये?’ काउन्टर पर खड़े कंकालनुमा सेल्समैन की आवाज से मैं होश में आया | भीड़ भाड़ भरी सड़क पार कर मैं कब और कैसे दूसरे किनारे पर आ गया जान ही नहीं पाया |

कोई अच्छा सा लेडीज गिफ्ट आइटम दिखाइयेमैंने पूरे आत्मविश्वास से रैक पर रखे सामानों पर नजर घुमाते हुए कहा |

किसे देना है?’ सेल्समैन की यह गुस्ताखी मुझे नाकाबिले बर्दाश्त लगी |

ग्राहक भगवान होता है और भगवान से ज्यादा सवाल नहीं करते मूर्ख मानवमैं ऐसा कुछ बोलना चाहता था लेकिन सेल्स मैन की लपलपाती कमीज के अन्दर छिपी हड्डियों पर तरस आ गया |

मेरे एक दोस्त को अपनी गर्ल फ्रेंड को देना है..मेरे बोलते ही उसने अपनी आँखें मुझ पर गड़ा दीं जैसे उसकी अनुभवी आँखों ने मेरा झूठ पकड़ लिया हो |

इससे पहले कि वह और कुछ पूछता मैं सड़क की ओर घूम गया | ‘A friend in need is a friend indeed’ इस कहावत का मतलब आज मुझे समझ आ गया था |         

जारी...

for more samples click link below:
---->  Sample 1
----> Sample 2

कंपू 007..a topper's tale
a novel by Nitendra Verma

4 comments:

  1. शब्दो का बहुत ही अच्छा इस्तेमाल किया है, कहानी का नाट्य रुपांतरण हो सकता है.....बहुत बढिया #nitendra verma

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  2. आपके शब्द चित्र उकेर देते हैं ...

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  3. This comment has been removed by the author.

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