मेरी जल्द ही प्रकाशित हो रही नई किताब "कंपू 007..a topper's tale" के कुछ चुनिन्दा अंश आप सब के लिये | उम्मीद है आप सबको पंसद आयेंगे | अगर आपको पसन्द आये तो कमेंट और लाइक में कंजूसी न करें....
Sample
4:
चौथे
सेमेस्टर में आते आते क्लास में लगभग सभी ने अपने जोड़े बना लिये थे | जिनके नहीं
बने थे उनके शायद कभी बनेंगे भी नहीं | कम से कम शादी से पहले तो नहीं ही | क्लास
में सीटिंग अरेंजमेंट भी हम लोगों ने अपने हिसाब से कर लिया था | सब जोड़े के हिसाब
से बैठने लगे थे |
हम
लोगों ने लैंगिक भेदभाव को पूरी तरह से मिटा दिया था | जब लड़का लड़की एक साथ एक
क्लास में बैठ सकते हैं तो अगल बगल क्यों नहीं | हमारे हिसाब से तो हम इक्कीसवीं
सदी में एक नई क्रांति की शुरुआत कर रहे थे | लेकिन कोई था जो इस क्रांति को दबा
देना चाहता था |
हमारे
इंटरनल एग्जाम से ठीक पहले आरी मैम ने क्लास टेस्ट की झड़ी लगा दी थी | रोज रोज के
टेस्ट से हम ऊब गये थे | कल हुए टेस्ट की कॉपी लिये आरी मैम क्लास में हाजिर थीं |
क्लास में हमेशा की तरह पिन ड्राप साइलेंस था | ठीक ऐसा ही सन्नाटा तूफ़ान आने के
पहले भी होता होगा |
‘इतना
सन्नाटा क्यों है भाई ?’ ये लिखी चिट पीछे से अनूप ने मुझे पकड़ाई |
‘You people are the worst
batch in the history of this University’ पूरे पांच मिनट घूर लेने के बाद मैम ने अपना सबसे प्यारा डायलाग हम लोगों के
सिर पर दे मारा |
‘I can clearly see your
future and let me tell you that
it is totally dark’
उनके गोरे गोरे चेहरे पर गुस्से का लाल रंग उभर आया |
तभी
मैम तेजी से मनीष की ओर बढीं | ‘You are laughing ? Am I
cracking jokes?’
उनका इतना कहना था कि पूरी क्लास की निगाहें मनीष की ओर घूम गयीं | हर नजर उसे
गरिया रही थी | उसकी खुरपेंच करने की आदत आज हम पर भारी पड़ने वाली थी |
ओह्ह
गॉड क्या कर दिया इसने!!! वैसे तो शायद बच भी जाते लेकिन इस मनीष के बच्चे ने शेर
के मुँह में ही हाथ डाल दिया था | ऊँह..शेर के मुँह में डालता तो भी ठीक था लेकिन
यहाँ तो शेरनी थी |
‘See your answer sheets’ आरती मैम ने अपनी मेज से कॉपियां
उठायीं और हवा में उछाल दीं जैसे पहले diskthrow चैंपियन रही हों |
हम
सब ऊपर की ओर उठी असहाय नजरों से हवा में तैर रही कापियों को ऐसे देख रहे थे जैसे
कोई बॉलर छक्के के लिये हवा में जा रही अपनी बॉल को देखता है | ये उनके गुस्से का
सुपरलेटिव फॉर्म था |
‘See what the shit you
people have done in your copies. None of you has got even passing marks.’ गुस्से से उनकी आवाज फटने लगी |
‘Stand up Manish..’ इतना सुनते ही हम सब की रूह
काँप उठी | आज फिर से हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य पर कालिख पुतवाने का समय आ गया
था | पूरी क्लास से मनीष के लिये जी भर भर कर गालियाँ निकल रही थीं |
ईडियट,
डफर और डिक्शनरी में उपलब्ध - अनुपलब्ध, दी जा सकने वाली तमाम शालीन गालियों की
बारिश से आरती मैम ने हम सबको तर बतर कर दिया था | सवालों और लानतों की मिसाइलों
ने मनीष से शुरू होकर क्लास के आखिरी छोर पर बैठे निर्दोष बेचारे निशांत और अनूप
तक को छलनी कर डाला |
इस
बार की मिसाइल पहली वाली मिसाइलों के मुकाबले ज्यादा मारक और विध्वन्षक थी | पूरी
की पूरी क्लास खड़ी थी | आधे घंटे से खड़े हम सब अपने अपने घाव सहला ही रहे थे कि
नेक्स्ट पीरियड की बेल बज उठी | हम सब के मन में उमंग दौड़ उठी |
सोनकर
सर मैम के बाहर आने का वेट कर रहे थे और हम मैम के बाहर जाने का | मैम बाहर जाने
के लिये मुड़ीं तो सबके चेहरे पर मुस्कान लौटने लगी |
‘Sir I will take this
class…’ गीतिका मैम की आदेश
भरी विनती सुनते ही हमारी धडकनें चौगुनी रफ़्तार से धौंकने लगीं | उनके वापस अन्दर
घुसते ही लगभग आधे बैठ चुके हम सब फिर से तन कर खड़े हो गये | हमारे चेहरों पर लौट
आई मुस्कान उलटे पाँव खिसक ली |
सोनकर
सर ने हमारी आशाओं पर जो कुठाराघात किया था उसके लिये हम उन्हें माफ़ करने वाले
नहीं थे | उनका यह कृत्य घोर अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिये | उन्हें आरती
मैम का विरोध करना चाहिये था | आखिर वो सीनियर हैं | लेकिन उन्होंने बिना हथियार
उठाये ही आत्म समर्पण कर दिया | आखिर उनका सब्जेक्ट भी तो इम्पोर्टेन्ट है |
गीतिका मैम की वजह से आज हमें सोनकर सर के लेक्चर से मरहूम रहना पड़ेगा | कितना
नुकसान होगा हमारा |
‘सब
समझ आ रहा है मुझे | तुम लोगों का दिमाग कहाँ घूम रहा है | सबका इलाज करती हूँ बस
दो मिनट रुको | Manish You come here. Just keep an eye on everyone. कोई अपनी जगह से हिले भी तो नाम note down कर लेना |’ मैम बाहर गयीं तो पूरे
क्लास की नजरों ने मनीष को घूरना शुरू कर दिया |
मौके
की नजाकत न होती तो सबने मिलकर वहीं धुन दिया होता | ऐसी अकड़ से खड़ा था जैसे
बाहुबली के अगले पार्ट का हीरो वही हो | ‘बाहर मिलो बेटा..’ अंतर्मन से यही आवाज
निकल रही थी |
अब
ये तो पूरी तरह ज्यादती हो रही थी.. दो मिनट के लिये बोल के गयी थीं लेकिन दो मिनट
भी नहीं हो पाए थे कि मैम क्लास में लौट आयीं | इस बार वो अकेले नहीं थी बल्कि
उनके साथ थे दो तेज तर्रार चपरासी | अब क्या हमें क्लास से उठवाकर बाहर फिंकवाने
का इरादा था ?
जारी...
कंपू 007..a topper's tale
a novel by Nitendra Verma
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