Menu bar

New Releasing soon...my new novel कंपू 007..a topper's tale कंपू 007...a topper's tale
New इस ब्लॉग के पोस्ट को मीडिया में देखने के लिये MORE menu के Milestone पर क्लिक करें..

Monday, August 31, 2015

लघुकथा - "उम्मीद से कम"

उम्मीद से कम


पड़ोस की छत पर टहलते हुए रिंकू को देख रीतेश को अचानक याद आया कि आज उसका हाई स्कूल का रिजल्ट आने वाला था | यूँ तो रीतेश को हाई स्कूल पास हुए करीब बीस साल हो चुके थे लेकिन रिजल्ट को लेकर आज भी वही कौतूहल है | जितना रीतेश जानता था उस हिसाब से रिंकू पढाई में बेहद कमजोर था | सेकंड डिवीज़न से बेहतर की उम्मीद उसे नही ही थी | हकीक़त भी यही थी | रीतेश ने रिंकू को आवाज लगाते हुए पुछा “कैसा रहा रिजल्ट? कौन सी डिवीज़न आयी ?” रिंकू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया “फर्स्ट डिवीज़न है भैया” | रीतेश को थोडा आश्चर्य हुआ फिर पूछ पड़े “अच्छा कितने परसेंट हैं ?” रिंकू ने मुस्कराहट की लकीरें लम्बी खींचते हुए बताया “बयासी परसेंट आये हैं |” “कितने ?” रीतेश को लगा उसने कुछ गलत सुन लिया इसलिये दुबारा पूछ ही लिया | इस बार रिंकू ने थोडा तेज आवाज में बताया “बयासी परसेंट हैं भैया यानि एट्टी टू परसेंट |” बीस साल पहले खुद सेकंड डिवीज़न पास हुए रीतेश को कुछ झेंप सी लगी | फिर भी रीतेश बोला “काफी अच्छे नंबर आये हैं |”  रिंकू ने कुछ उदास से लहजे में कहा “हां नंबर तो ठीक हैं लेकिन मेरी उम्मीद से काफी कम |”
इतना सुनते ही रीतेश चुप हो गया | अब उसके पास और कुछ पूछने की ताकत नहीं बची थी | उसे आज भी याद है कि कितनी मेहनत के बाद वो सेकंड डिवीज़न ला पाया था जिसे उन दिनों बड़ा सम्मानजनक माना जाता था | छत से नीचे उतरते हुए उसके दिमाग में एक ही सवाल बार बार आ रहा था “बयासी यानी एट्टी टू परसेंट फिर भी उम्मीद से कम ?”

                                    Short Story by: Nitendra Kumar
                                                                        



3 comments:

  1. In dino ke 90 % apne samay ke 55% ke barabar he

    ReplyDelete
  2. नितेंद्र साहेब, कहानी के माध्यम से आपने बहुत सुन्दर कटाक्ष-व्यग्य किया है ....वो दिन भी शायद दूर नहीं जब पैरवी-चोरी या किसी और ढंग कोई १०० प्रतिशत मार्क्स ले आये और पूछने पर कल के किसी जहीन-मेहनती व होशियार बन्दे से कहे......उम्मीद से कम आया है जी .......यही है आज की शिक्षा नीति| टोकरी भर भर के मार्क्स दो ......सुन्दर व्यंग्य के लिए साधुवाद आपको

    ReplyDelete