तलाक
शनिवार शाम ऑफिस से घर लौटते वक्त जो देखा वो अविश्वसनीय था । पहले आँखों को यकीन नहीं हुआ । गाड़ी किनारे लगाई और गौर से देखा, फिर भी यकीन नहीं हुआ तो आँखों को दोनों हाथों से रगड़ा, चश्मा अच्छे से साफ़ किया । दिल तो मानने को तैयार नहीं था लेकिन आँखों देखी को झुठलाया भी नहीं जा सकता ।
राष्ट्रीय राजमार्गों का चौराहा कहे जाने वाले कानपुर के रामादेवी चौराहे पर फल फूल रहे चौराहे की आन बान शान गड्ढों को मशीनें लगाकर गिट्टी और तारकोल से, जी हाँ सही पढ़ा आपने गिट्टी और तारकोल से भरा जा रहा था । यहां तक की रोलर भी मौके पर ही मौजूद था । भरने के लिए गड्ढों को चुनाव computerised तरीके से किया गया था ताकी कहीं किसी प्रकार का भेदभाव न होने पाए । जिन गड्ढों की एक्सपायरी समाप्त हो चुकी थी उन्हीं गड्ढों को भरने के लिए चुना गया था । बाकी सबको और खिलने के लिए छोड़ दिया गया था । ऐसा नहीं है कि इन गड्ढों को पहली बार भरा गया हो । पहले भी तमाम अत्याधुनिक तकनीक से गड्ढे भरे गये हैं । कई बार तो उच्च गुड़वत्ता युक्त मिट्टी से, तो कई बार मिट्टी व् गिट्टी के मिश्रण से गड्ढे भरे गये जो लगभग दो चार दिन तो चल ही जाते थे ।
खैर उस समय मैं खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहा था । बेहद सुखद अनुभूति व अप्रतिम आनन्द का अनुभव कर रहा था । मैं ख़ुशी ख़ुशी घर आ गया ।
लेकिन ये क्या??? सोमवार को वहां कुछ अलग ही नजारा था । जो गड्ढे एक दिन पहले ही भरे गये थे आज फिर खीसें निपोरे सबको चिढ़ा रहे थे । गिट्टियां छितरी पड़ी थीं तो तारकोल नौ दो ग्यारह हो चुका था । मैंने इसकी काफी जानकारी की तब जाकर सच्चाई सामने आई । और सच्चाई चौंकाने वाली थी । दरअसल जिस दिन गड्ढे भरे गये उसी रात गिट्टियों और तारकोल में जमकर झगड़ा हुआ । झगड़ा बढ़ते बढ़ते इतना विकराल हो गया कि नौबत मारपीट तक आ गई । मामला गम्भीर होते देख जो गड्ढे भरने से रह गये थे उन्हें आगे आकर बीच बचाव करना पड़ा । रात ही में पंचायत बुलाई गई । आसपास के सारे गड्ढे शामिल हुए । घण्टो चली पंचायत में गिट्टियों और तारकोल को तत्काल प्रभाव से अलग होने का फैसला सुनाया गया । इस तरह दोनों का तलाक हो गया । और इस स्मार्ट सिटी के स्मार्ट गड्ढे फिर से ख़ुशी से लहलहाने लगे । फिर से खुली हवा में सांस लेकर उन्हें ऐसा लगा जैसे नया जीवन मिल गया हो ।
स्मार्ट सिटी के स्मार्ट राहगीर भी गड्ढों को उसी हालत में पाकर स्वयं को धन्य मान रहे हैं । बाकी तलाक तो ही चुका है ।
By Nitendra Verma
शानदार , सटीक व्यंग्य, 👌👌
ReplyDeleteशानदार , सटीक व्यंग्य, 👌👌
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