Menu bar

New Releasing soon...my new novel कंपू 007..a topper's tale कंपू 007...a topper's tale
New इस ब्लॉग के पोस्ट को मीडिया में देखने के लिये MORE menu के Milestone पर क्लिक करें..

Tuesday, August 8, 2017

ग़ज़ल- इन्तहां


अमित शुक्ला 
कविता और ग़ज़ल लेखन के धनी अमित शुक्ला की कलम से निकली ग़ज़ल "इन्तहां"...पढ़ें..पसंद आये तो कमेंट व शेयर जरूर करें... 






ग़ज़ल - इन्तहां 

कब इन्तहां होगी आपकी मुझको सताने की
जहमत जरा उठा लीजिए मुझको बताने की ।
आप ही इल्जाम लगाते हैं बार बार 
वरना है क्या मजाल इस जमाने की ।
कभी दिल माँगते हो और कभी जान

छोड़ी नहीं है कोई कसर आजमाने की ।
हजार गम भी हों तो छुपा लेते हैं दिल में
आदत बहुत बुरी है मेरी मुस्कुराने की ।
जलता रहा हूँ मैं सनम आपकी खातिर
ऐसा दीया जो फिराक में है खुद को बुझाने की ।



..........अमित .......


---अमित शुक्ला, अध्यापक, बरेली,  उ प्र बेसिक शिक्षा परिषद् 

No comments:

Post a Comment