घमंड
‘ए जरा इधर भी एक लहर मार...’ बल्ब, ट्यूबलाइट,
एलइडी म्यूजियम के एक कोने की अलमारी में
रखे दिये और लालटेन को बड़ी देर से छेड़े जा रहे थे | लालटेन तो अपनी प्रकृति की तरह
शांत बनी रही लेकिन हिलोरें मारते रहने वाले दिये से रहा नहीं गया |
बल्ब : अरे जरा अपना मुंह तो देख,
कैसा काला कर लिया है |
दिया : किसी को रोशनी देने में
अपना मुंह काला भी हो गया तो क्या हुआ |
ट्यूबलाइट : अच्छा दिये ये बता तू
हमेशा लहराता क्यों रहता है ?
दिया : आप भी तो जलने से पहले
पच्चीस बार झटके मारते हो |
ट्यूबलाइट : (गुस्से में) ऐ दिये
जबान संभाल के ! एक फूंक में ठंढे पड़ जाते हो और मुझे ऑंखें दिखा रहे हो |
अब तक शांति का कवच ओढ़े लालटेन से
न रहा गया | उसका गुस्सा भी फूट पड़ा |
लालटेन – ट्यूबलाइट जी, मेरे पिता
जी पर गुस्सा मत दिखाइए | मैं शांत हूँ इसका मतलब ये कतई नहीं कि आप कुछ भी बोलें
| किस फूंक की बात करते हैं आप ? अरे हम तो फूंक से बुझते हैं तुम सब को तो बुझाने
के लिये एक अंगुली ही काफी है | छोटा बच्चा भी बुझा दे | और बल्ब बेटा तुम तो न ही
बोलो | जब तब फ्यूज होते रहते हो |
बल्ब : बड़ा गुस्सा आ रहा है तुझे |
जब दोनों जल-जल के पूरा घर काला कर देते हो तब गुस्सा नहीं आता | हम लोगों को देखो
बिना किसी धुंए के कैसे पूरा घर जगमगा देते हैं |
लालटेन : हमारे अन्दर कुछ कमियां
जरूर हो सकती हैं लेकिन भाइयों हम दोनों बाप-बेटे कुछ ऐसा कर सकते हैं जो तुम सब
मिल कर भी नहीं कर सकते |
तीनों : (व्यंगात्मक आश्चर्य के
साथ) अच्छा ! वो क्या है जरा हम भी तो देखें |
लालटेन : हम दोनों किसी दूसरे दिये
या लालटेन को जला सकते हैं | है तुममें से कोई ऐसा जो दूसरे बल्ब, ट्यूबलाइट या एलइडी
को जला सके |
एलइडी : जरा खुद को देख ! कहाँ
राजा भोज कहाँ गंगू तेली | जमीन आसमान का अंतर है तुझमें और हम लोगों में |
लालटेन : हां भाई अंतर तो है | आप
लोग मॉडर्न जो हो गये हैं | भाषा को ही ले लो | आप तू – तड़ाक से ऊपर आने को तैयार
नहीं और हमसे शालीनता का चोला नहीं उतारा जा रहा |
ट्यूबलाइट : धुआं निकाल निकाल के
लोगों को रुलाने वाले और जम के तेल पीने वाले शालीनता की बातें करते हैं ? वाह !
लालटेन : इसके लिये आप सब लोग
धन्यवाद के पात्र हैं | लेकिन ऊर्जा की खपत तो आप सब भी करते हैं | घरों के बिजली
का बिल आप भी बढ़ाते हैं | हाँ कोई कम तो कोई ज्यादा | मैं तो चाहता हूँ कोई ऐसा
साधन आ जाये जो न तो ऊर्जा की खपत करे और न ही बिल बढ़ाये | लेकिन तब आप सब भी मेरी
तरह कोने में पड़े यहाँ की शोभा बढ़ा रहे होंगे |
एलइडी : ऐ गुजरे ज़माने की बेकार
चीजें ! अपनी औकात देख | अगर हमसे जबान लड़ाई तो तुझे इस म्यूजियम से भी उठाकर बाहर
कर देंगे |
दिया : (मुस्कुरा कर बल्ब और
ट्यूबलाइट की ओर देखते हुए) देखना कल को ये तुम्हे भी ऐसे ही कहेगा |
बल्ब : अच्छा, तुम मेरे परिवार में
दरार पैदा करना चाहते हो |
दिया : (भावुक होते हुए) वो तो
पैदा हो चुकी है | तुम लोगों को क्या लगता है , कहीं आसमान से टपके हो ! तुम लोगों
ने तो अपनी जड़ों को भी भुला दिया | हम सब का एक ही काम तो है रोशनी बिखेरना | हो
सकता है हमारा अंदाज अलग हो लेकिन मूल उद्देश्य आज भी वही है | तुम सब के निर्माण
के पीछे कहीं न कहीं हमारी प्रेरणा है | हम बुजुर्ग हो गये तो लोगों ने हमें अपने
घरों से निकाल दिया | लेकिन हमें इसका दुःख नहीं | दुःख तो इस बात का है कि हमारे
ही खून ने हमें पहचानने से इनकार कर दिया | अरे मूर्खों ! तुम सब तो हमारी ही नयी
पीढ़ी हो | हमें गर्व है तुम सब पर | लेकिन हमारी खिल्ली उड़ाकर तुम लोगों ने हमारा
दिल तोड़ दिया |
बल्ब : (आँखों में आंसू लिये) दादा
जी हमें माफ़ कर दीजिये | नयी तकनीक और समय ने हमारे अन्दर इतना घमण्ड भर दिया कि
हम अपनी ही जड़ें काटने चले थे | पेड़ कितना ही विशाल क्यों न हो जाये उसे अपनी जड़ों
को हमेशा ही सहेज कर रखना पड़ता है | हमें माफ़ कर दीजिये | आपने हमारी ऑंखें खोल
दीं |
दिया : हमें तुम लोगों से कभी कोई
शिकायत नहीं है | आओ गले मिलें और मिल कर अपने परिवार का नाम रोशन करें |
अब दिया, लालटेन, बल्ब, ट्यूबलाइट
और एलइडी सब मुस्कुराते हुए गर्व के साथ उस म्यूजियम को रोशन कर कर रहे थे |
Khayali Pulao By : Nitendra Verma
Date: March 06, 2016 Sunday
Khayali Pulao By : Nitendra Verma
Date: March 06, 2016 Sunday
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