सख्त़ी
दौड़ती हांफती बहन जी चार बजे से ठीक पहले ही बैंक पहुँच
पाई थी | बड़े बाबू पूछ बैठे ‘अरे बहन जी आप ! इतना लेट कैसे ?’ उनका इतना पूछना था
कि बहन जी बरस पड़ीं ‘अरे सत्यानाश हो इन अधिकारियों का | जीना हराम कर रखा है |
लगता है इनके पास कोई काम ही नहीं है | जब देखो निरीक्षण में लगे रहते हैं | बाबू
जी इतनी सख्ती कर रखी है कि टाइम से ही विद्यालय जाना और आना पड़ता है | अब स्कूल
की नौकरी आसान नहीं रह गयी साहब | जो कर के निकल गये वो मजे में रहे | हम महिलाओं
के लिये तो आफत है | घर में खाना बनाएं, साफ सफाई करें और फिर स्कूल भी टाइम से
पहुंचें | इतनी सर्दी में कैसे कंपकपाते स्कूल जाते हैं हम मास्टर ही जानते हैं |
इस बार तो सर्दी में एक दिन भी स्कूल बंद नहीं किया |’ बाबूजी दबी मुस्कान के साथ
बोले ‘लेकिन बहन जी इस साल तो ठंढ पड़ी ही नहीं, देखिये कितनी तेज धूप है | फिर
छुट्टी काहे की |’ बहन जी बोली ‘क्या बाबू जी ! आप यहां अन्दर बैठे हैं तो क्या
पता चले आपको | बच्चों के लिये इतनी सर्दी ही बहुत है |’
एक और नयी समस्या बताते हुए बहन जी बोलीं ‘अब एक नया
शीगूफ़ा छोड़ा है , छुट्टी लेने के लिये एस एम एस करना पड़ेगा |’ बाबू जी बोले ‘हां,
तो इसमें क्या दिक्कत है ?’ बहन जी ने फट जवाब दिया ‘अरे हम पुराने लोग हैं, एस एम
एस करना नहीं आता | कहाँ से करें ?’ इतने में उनके नये चमचमाते स्मार्ट फोन पर
मैसेज आया | मैसेज के साथ ही बहन जी के चेहरे पर लम्बी मुस्कान खिंच गयी | बाबू जी
फिर पूंछ बैठे ‘क्या हुआ मैडम जी ?’ बहन जी ने चहकते हुए बताया ‘देखिये हम कह ही
रहे थे कि इस बार सर्दियों में छुट्टी नहीं हुई | व्हाट्स एप्प पे मैसेज आया है |
प्रशासन ने अगले दो दिन की छुट्टी घोषित कर दी है..’ बहन जी कुछ और बता पातीं इससे
पहले ही बाबू जी ने बिना एक पल गंवाये उनका पेमेन्ट उनका हाथों में पकड़ा दिया |
Short Story by: Nitendra Verma
Date: Feb 03, 2016 Wednesday
Sir ji
ReplyDeleteYe ekdum sahi hai log sbko point out karte hai apne ap ko ni
Aise kehti thi madam(story wali )ki msg karna ni aata aur whatsapp aise hi chala lete hai
Nice story sir ji
Ekdum fact hai jo story me btaya gaya hai