श्राप
गार्ड साहब बैंक में आ चुके थे | हमेशा की ही तरह
आधा पौन घंटा देरी से | उनकी इस आदत से बेचारे कर्मचारी बड़ा परेशान रहते थे |
लेकिन गार्ड साहब इन बातों से बेफिक्र रहते थे | किसी के आपत्ति जताने पर एक
लाजवाब बहाना हमेशा तैयार रखते थे |
आज हालात थोड़े जुदा थे | बड़े साहब बहुत गुस्से
में लग रहे थे | गार्ड साहब की अनुपस्थिति में कुछ ग्राहक कर्मचारियों से उलझ गये थे, नौबत
हाथापाई की हो आई थी | दिन भर तो बड़े साहब गुस्सा दबाये बैठे रहे लेकिन शाम को
चलते समय गार्ड साहब को फटकारते हुए बोले “आप रोज रोज लेट क्यों हो जाते हैं ?”
गार्ड साहब ने अपनी चिर परिचित खींसे निपोरते हुए तुरंत कारण प्रस्तुत किया “क्या
बताऊँ साहब मेरे ऊपर ये श्राप लगा हुआ है कि मैं कभी कहीं टाइम से नहीं पहुँच
पाऊंगा” | जवाब सुन कर बड़े साहब और कुछ पूछने का साहस नहीं जुटा पाए |
Short
Story by: Nitendra Verma
Date: August 07, 2015 Friday
नोट : इस लघुकथा का किसी व्यक्ति या स्थान
विशेष से कोई सम्बन्ध नहीं है |
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Good
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