सन्डे
काम ख़त्म करके नीरज
ऑफिस से बाहर निकला तो वो बहुत खुश था | उसके चेहरे से सुकून और ख़ुशी टपक रही थी |
ख़ुशी हो भी क्यूँ ना आखिर हफ्ते भर के इन्तजार के बाद कल सन्डे जो आने वाला था |
वो ऑफिस से बाहर निकला और घर की ओर जाने वाली टेम्पो में बैठ गया | वो मन ही मन कल
की प्लानिंग करने लगा | कल वो सारा दिन अपनी बीवी बच्चों के साथ गुजारेगा | बच्चों
के लिए कुछ शॉपिंग भी करेगा | अरे हां पड़ोस वाले शर्मा जी के बच्चे के बर्थडे में
भी जाना है | बाबू जी को कान के डॉक्टर को भी दिखाना है | बीवी से सिर कि मालिश भी
करवाएगा बहुत दिन हो गए मालिश करवाए | इसी बहाने हफ्ते भर की थकान भी दूर हो जाएगी
| नीरज ये सारी बातें सोच ही रहा था कि उसके फोन की घंटी बज उठी | बॉस का फोन था |
जी सर – नीरज बोला | कहाँ हो – बॉस बोले | “ बस घर पहुँचने वाला हूँ” नीरज ने ख़ुशी
से बताया | “तुम्हे अभी ऑफिस आना होगा” बॉस बोले | “लेकिन सर मैं तो घर पहुँचने ही
वाला हूँ” नीरज ने कुछ उदास लहजे में जवाब दिया | “काम जरुरी है तुरंत आ जाओ | और
हां मैं जरा जरुरी काम से बाहर जा रहा हूँ इसलिये तुम्हे कल भी आना पड़ेगा |” बॉस
ने हुक्म देने के अंदाज में कहा | “लेकिन सर कल तो सन्डे है?” नीरज मिमियाते हुए
बोला | वो कुछ आगे बोलता इससे पहले ही फोन
कट चुका था | उसके चेहरे की ख़ुशी और सुकून की जगह अब बेबसी , उदासी और गुस्से ने
ले ली थी | उसे जितना अपने बॉस पर गुस्सा आ रहा था उतना ही अपनी बेचारगी पे रोना |
टेम्पो अपने आखिरी
स्टॉप पर पहुच चुका था | वो टेम्पो से उतरा और वापिस अपने ऑफिस जाने वाली टेम्पो
में बैठ गया | अब उसे इन्तजार था अगले सन्डे का |
Short Story
by: Nitendra Kumar
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nice story
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