एक चिड़िया अनेक चिड़िया
गाँव में बस्ती के बीच डालियों से भरपूर एक
सूखा सा पेड़ | सूरज ढलने को है | यह पेड़ भले ही पतझड़ की वजह से पत्तियों से वीरान
हो लेकिन इसकी डालों पर कतारबद्ध होकर बैठी चिड़ियाँ इसे अलग ही भव्यता प्रदान कर
रही थीं | एकदम अदभुत अनुभव था | ऐसा लग रहा था जैसे किसी पी टी टीचर ने बच्चों को
कतार में खड़ा किया हो | उनकी चहचहाहट इतनी मधुर और इस कदर सुर, लय, ताल में कि
सुनने वाले का ह्रदय झंकृत हो उठे | एक
बारगी तो मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ गये जब छुट्टी से पहले का पीरियड खाली होने
पर हम सब बातों में मशगूल हो जाते थे |
काफी देर तक मैं उस पेड़ और उस पर बैठी
चिड़ियों को एकटक देखता रहा | ऐसा लगा ये चिड़ियाँ आपस में दिन भर के अनुभव बाँट रही
हैं | घर लौटने से पहले अक्सर पक्षी ऐसा करते हैं | यहीं पास के बड़े से तालाब के
ऊपर शाम को श्रंखला बनाकर लय में घूमना चिड़ियों का प्रिय शगल है | ऐसा लगता है
जैसे कोई हवाई जहाज करतब दिखा रहा हो | इनके सामने मानव का समूह नृत्य भी फ़ीका
लगता है | ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इन चिड़ियों को भी कोई लीड कर रहा होता
है | सारी चिड़िया उसी एक चिड़िया के निर्देशों का पालन कर रही होती हैं | उसके बाएं
घूमते ही सब बाएं और दायें घूमते ही सब दायें घूम जाती हैं |
दिन भर रोजी रोटी के जुगाड़ में घूमते रहने के
बाद शायद शाम का समय ही है जिसमें ये खुलकर मौज मस्ती करती हैं | हम इंसानों के
पास तो अब इतना भी समय नहीं रह गया कि दिन भर के काम से फुरसत होने बाद अपनों के
साथ बैठ के दो बातें की जा सकें | कितनी समानता है इंसानों और इन चिड़ियों में | सुबह
होते ही हमारी तरह ही रोटी की जुगाड़ में निकल जाती हैं और शाम होते ही वापस घर को
लौट आती हैं | कितनी खिलंदड , जिंदादिल , और सामजिक हैं ये चिड़िया |
पेड़ पे बैठी ये चिड़िया अपनी जगह भी बदल रही
थीं मानो अपनी सभी दोस्तों का हाल चाल ले रही हों | अचानक दो चिड़िया वहां से उड़ गई
| थोड़ी देर में कुछ और उड़ी | इसके बाद बाकी चिड़िया भी एक साथ फुर्र हो गयीं | शाम
हो चली थी | अंधेरा घिर आया था | सारी चिड़िया अपने घरों को लौट चुकी थीं | चिड़ियों
से हरा भरा पेड़ एक बार फिर वीरान हो चुका था | लेकिन कल फिर शाम होते ही पतझड़ का
मारा ये पेड़ इन्ही चिड़ियों की चहचहाहट से गुलज़ार हो जायेगा |
Khayali
Pulao By : Nitendra Verma Date: March 17, 2015 Tuesday
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