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Saturday, July 23, 2016

लघुकथा - मानवता

मानवता

सभी अख़बार और न्यूज़ चैनल हिन्दू मुस्लिम के वाद विवाद से भरे पड़े थे | पूरे देश में अशांति फैली थी | कोई पड़ोसी मुल्क के मुर्दाबाद के नारे लगा रहा था तो कुछ अपने ही देश के खिलाफ़ झंडा बुलंद किये जा रहे थे | एक दूसरे की खूब लानत मलानत हो रही थी | ऐसा लग रहा था जैसे इस देश में दोनों का साथ रहना अब तो मुश्किल ही है |

इन सबसे बेखबर दूर छोटे से कस्बे में एक मुस्लिम महिला अपने मायके जाने के लिये भाई के साथ बस में चढ़ी | बस छूटे पांच मिनट ही हुए होंगे कि महिला दर्द से कराहने लगी | उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी थी | आसपास कोई अस्पताल भी न था | बस वाले ने कोई चारा न देख बस वापस स्टैंड की ओर मोड़ ली | बस स्टैंड पहुँचते ही बस में मौजूद महिलाओं ने सभी पुरुषों को नीचे उतार दिया | तब तक किसी ने चादर निकाल कर चारों ओर घेरा बना दिया | बुजुर्ग महिलाओं ने अपने अनुभव का भरपूर प्रयोग करते प्रसव सकुशल तरीके से कराया | बच्चे के रोने की आवाजें सुनते ही हर यात्री की आँखों में आंसू आ गये |

बस ड्राईवर इतना भावुक हो गया कि फट से मिठाई मंगा कर सभी यात्रियों में बाँट दी | स्टैंड संचालक ने महिला की हालत को भांपते हुए अपने पैसों से उसके घर तक जाने के लिये एक वैन का प्रबंध किया | सब ने महिला को ढेरों प्यार, आशीर्वाद, स्नेह और अपना व बच्चे का ख्याल रखने के वायदे के साथ विदा किया और बस फिर अपने गंतव्य को बढ़ चली | 

मानवता फिर मुस्कुरा रही थी | इस बस में उस महिला व उसके भाई के अलावा कोई मुस्लिम न था | लेकिन किसी ने मदद लेते या देते वक्त नहीं पूछा कि कौन मुस्लिम है और कौन हिन्दू | इंसानियत की एक बार फिर जीत हुई थी | इधर जहाँ अख़बार दोनों सम्प्रदायों के बीच झड़प और पत्थरबाजी की ख़बरों से अटे पड़े थे वहीँ न्यूज़ चैनल पर इन्ही समुदायों के कथित ठेकेदारों के बीच गर्मागर्म बहस जारी थी |


Short Story by: Nitendra Verma
                                                                              Date: July 22, 2016 Friday



3 comments:

  1. बहुत सुंदर लघुकथा

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  2. बहुत सुन्दर | पर समय आने पर हमे भी ऐसे उदहारण प्रस्तुत करने चाहिए |-रीतेश पटेल

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