बैंकों में तेजी से बढ़ रहा है टेक्नोलॉजी का प्रयोग , ग्रामीण क्षेत्रों
में अब भी असीम संभावनाएं
वो दिन चले गये जब
बैंकों के ग्राहक अपने छोटे छोटे कामों के
लिये बैंक में घंटों लाइन में लगे
रहते थे
| पिछले एक दशक में तकनीक के बढ़ते प्रयोग से बैंके भी अछूती नहीं रही हैं | नयी
तकनीक से युक्त नयी सुविधाएँ देने में बैंकें बहुत आगे निकल चुकी हैं | सरकारी हों
या प्राइवेट बैंकें इस मामलें में कोई पीछे नहीं रहना चाहता | एटीएम हो मोबाइल
बैंकिंग हो या नेट बैंकिंग, ये सब बैंकों और ग्राहकों के जीवन का अहम हिस्सा
बन चुके हैं | खास बात ये है कि बैंकों ने जितनी तेजी से उच्च तकनीक युक्त
सुविधाएँ उपलब्ध करवाई हैं उतनी ही तेजी से ग्राहकों ने उन्हें अपनाया भी है |
हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में ये
सुविधाएँ उपलब्ध होने के बावजूद इनका प्रयोग उस तेजी से नहीं बढ़ पाया है |
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित बैंक शाखाओं
में आने वाली भीड़ में आज भी कोई खास कमी नहीं आयी है | इनके मुकाबले शहरी शाखाओं
में आने वाले ग्राहकों की संख्या में जबर्दस्त गिरावट आई है | इस अंतर का मुख्य
कारण है तकनीकी सुविधाओं का उपयोग | अधिकतर शहरी ग्राहक इन सुविधाओं का खूब जमकर
इस्तेमाल करते हैं | वहीं इसके उलट ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी ग्राहक उदासीन
बने हुए हैं | एटीएम इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों की संख्या में मामूली वृद्धि
जरुर है लेकिन मोबाइल बैंकिंग/ नेट बैंकिंग अभी यहाँ दूर की कौड़ी लगती है | आज भी इन
क्षेत्रों में ग्राहक घंटों लाइन में खड़े रहकर काम कराना पसंद करते हैं |
इन सुविधाओं के पीछे बैंकों का उद्देश्य
जहाँ एक ओर अपने ग्राहकों को बेहतर व कहीं
भी कभी भी की धारणा से सर्विस उपलब्ध कराने का है वहीं दूसरी ओर शाखाओं से
ग्राहकों की भीड़ कम करना भी है | ग्रामीण शाखाओं में
आने वाले कुल ग्राहकों में से 70 प्रतिशत
से भी ज्यादा ग्राहक वो होते हैं जिनको खाते से धन निकालना होता है | यदि ये
प्रतिशत कम हो जाये तो बैंकों में भीड़ तो कम होगी ही साथ ही बैंकें भी ग्राहकों को
बेहतर सुविधाएँ दे पाएंगी | यदि ग्राहक एटीएम कार्ड लेकर उपयोग करें तो स्थितियां
काफी हद तक सुधर सकती हैं | लेकिन यदि ग्राहक एटीएम कार्ड नहीं ले रहे हैं तो इसके
पीछे दो कारण उत्तरदायी हैं, पहला ग्राहकों में जागरूकता का अभाव और दूसरा एटीएम
मशीनें लगाने में बैंकों की हीलाहवाली |
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ग्राहक एटीएम
के नाम से डरता है | आये दिन धोखाधड़ी की ख़बरें आने से उनका डर जायज भी है | लेकिन
यहाँ ग्राहकों को यह समझने की जरुरत है कि एटीएम प्रयोग करना उतना ही सुरक्षित है
जितना वह उसे रखेंगे | यहाँ कम पढ़े लिखे लोग ही नहीं बल्कि पढ़े लिखे नौकरी शुदा लोग भी एटीएम कार्ड लेना जरुरी नहीं
समझते | उन्हें यह समझने की जरुरत है कि एटीएम कार्ड का उपयोग कर वो न केवल अपना
समय बचायेंगे बल्कि बैंक में मौजूद ऐसे ग्राहक जो एटीएम नहीं इस्तेमाल कर सकते, का
भी समय बचायेंगे | साथ ही बैंक कर्मचारी भी ग्राहकों को बेहतर सेवा दे पाएंगे | बैंकें
भी ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम लगाने से कतराती हैं | लेकिन किसी भी बैंक के
एटीएम में कार्ड प्रयोग करने की सुविधा होने के चलते यह कोई खास समस्या नहीं है |
हां बैंकों को जरुरत है ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ग्राहकों को जागरूक बनाने की |
इसके लिये उन्हें समय समय पर कैंप लगाने की आवश्यकता है |
ग्रामीण शाखाओं में दैनिक भीड़ के एक बड़े हिस्से को सिर्फ इसलिए घंटों खड़े रहना पड़ता है
क्यूंकि उसे अपने खाते का बैलेंस जानना होता है | जबकि बैलेंस जानने के लिये सभी
बैंकों ने अपना एक मुफ्त नंबर जारी कर रखा है | कई बैंकों ने ई – लॉबी भी खोली हैं
जिसमें एटीएम के साथ , नगद जमा मशीन, नेट बैंकिंग सुविधा, पासबुक प्रिन्टिंग मशीन भी
उपलब्ध है |
ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहकों को चाहिए कि
वो बैंको की आधुनिक तकनीक युक्त सुविधाओं का प्रयोग करें जिससे उन्हें व अन्य
ग्राहकों को त्वरित व बेहतर सेवा मिल सके | क्योंकि भविष्य नयी तकनीक को अपनाने
में है न कि पुराने घिसेपिटे तौर तरीकों में |
---- नितेन्द्र वर्मा
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