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Friday, April 29, 2016

लेख - शराबबंदी – एक साहसिक फैसला

शराबबंदी एक साहसिक फैसला

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर की है | यह वास्तव में एक साहसिक कदम है | इसकी जितनी सराहना की जाये कम है | यह ऐसा फैसला है जिसे लेने में अच्छे अच्छे लोगों के कदम डगमगा जाते हैं | शुरुआत में नितीश जी के साथ भी ऐसा ही हुआ जब उन्होंने केवल देसी शराब पर पाबंदी की बात कही लेकिन जल्द ही उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया |

इसमें शायद ही किसी की दोराय हो कि शराब किसी भी रूप में किसी भी व्यक्ति का कोई फायदा नहीं पहुंचाती | शराब न केवल पीने वाले व्यक्ति को प्रभावित करती है बल्कि उसके पूरे परिवार, समाज और देश की जड़ो को खोखला कर देती है | इसके बावजूद सरकारें इस जहर पर कोई रोक नहीं लगातीं | सरकारें केवल यह सूचना “शराब पीना स्वास्थ्य के लिये नुकसान दायक है” जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है |

राजस्व का खेल कुछ ऐसा है कि सरकारें इस पर रोक नहीं लगाती | यह सर्वविदित तथ्य है कि सरकार के खजाने में बहुत बड़ी राशि शराब की बिक्री से आती है | यदि शराब पर रोक लगा दी जाये तो राजस्व की बहुत बड़ी हानि होना तय है | जाहिर है कोई भी सरकार यह नहीं चाहती | इन बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार का यह निर्णय और भी काबिले तारीफ हो जाता है | यहाँ यह बात पपरेशान करने वाली जरूर है कि सरकारों को जनता, समाज व देश के हित से ज्यादा राजस्व की चिंता है |   

शराब पीने वाला व्यक्ति भविष्य में इस भंवर में ऐसा उलझता है कि कभी बाहर नहीं निकल पाता | पहले शराब में पैसे बर्बाद करता है फिर अस्पतालों के चक्कर लगाता रहता है | कई बार तो शराबी अपने घर की सारी चीजें भी बेंच डालते हैं | घर वाले बेमतलब किसी और की गलती का खामियाजा भुगतते रहते हैं | वो भी पैसों के लिये मोहताज हो जाते हैं | जब शराबी गलियों से निकलते हैं तो अक्सर ऊटपटांग हरकते करते है या गाली गलौज करते हैं | इससे समाज पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है | शराबी समाज को लकड़ी में लगे दीमक की तरह अन्दर से खोखला करते रहते हैं | अपराध के लगभग हर मामले कहीं न कहीं शराब का हाथ होता है |

यदि सरकार यह सोचती हैं कि व्यक्ति स्वयं सुधर जायेगा और पीना छोड़ देगा तो फिर उसे कानून व्यवस्था भी समाप्त कर देनी चाहिये और इन्तजार करना चाहिये अपराधियों के सुधरने का | क्या ऐसा संभव है ? निश्चित रूप से नहीं | उत्तर प्रदेश राज्य में एक समय था जब हर दूसरे व्यक्ति को लाटरी खेलने की लत लग चुकी थी और तमाम परिवार इसके भंवर में फंस चुके थे | जब सरकार ने इस पर पूरी तरह रोक लगा दी तब जाकर यह लत छूटी थी |

सरकार का प्रथम कर्तव्य होता है समाज का कल्याण न कि खजाना भरना | इसलिये सभी राज्य सरकारों को जनता के स्वास्थ्य, समाज व देश को खोखला कर देने वाली शराब पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा देनी चाहिये | जब समाज स्वस्थ होगा तभी देश प्रगतिशील बनेगा |

                                
                                                     Article By : Nitendra Verma
                                                      Date: April 28, 2016 Thursday

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